लाल बाग का नाम सुनते ही मन में हरियाली और ताजगी की एक सुंदर छवि उभर आती है। जब मैंने पहली बार लाल बाग का दर्शन किया, तो ऐसा लगा मानो प्रकृति ने अपनी गोद में समेट लिया हो। शहर की भागदौड़ और शोरगुल से अलग, यहाँ की हवा ही कुछ खास थी—शांत, ठंडी और जीवन से भरी।

सुख-शांति और खुशियाँ लाएं।
बगीचे में प्रवेश करते ही रंग–बिरंगे फूलों की कतारें और सलीके से लगे पेड़-पौधे मन मोह लेते हैं। हर कदम पर एक नई खुशबू, एक नया रंग और एक नया नज़ारा मिलता है। सबसे अद्भुत अनुभव तब हुआ जब मैंने वहाँ की ग्लास हाउस (कांच का महल) देखा। अंग्रेज़ों के दौर की यह संरचना आज भी उतनी ही आकर्षक है, मानो समय थम गया हो।

गणेश जी का आशीर्वाद सदूरतूर।
झील का किनारा और उसमें तैरते कमल के फूल इस यात्रा को और भी यादगार बना देते हैं। बच्चों से लेकर बुज़ुर्ग तक, सभी अपने–अपने तरीके से यहाँ की सुंदरता का आनंद उठाते हैं। कुछ लोग सुबह की सैर के लिए आते हैं, कुछ फोटोग्राफी के लिए, तो कुछ बस प्रकृति से जुड़ने के लिए।

सुखकर्ता दुखहर्ता जग पालन हारी।
मेरे लिए यह पहला अनुभव आत्मा को सुकून देने वाला था। लाल बाग सिर्फ एक गार्डन नहीं, बल्कि जीवन की भागदौड़ से दूर शांति का ठिकाना है। वहाँ जाते ही समझ आता है कि क्यों इसे शहर का “हरियाली का खज़ाना” कहा जाता है।
